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बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2634
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान

प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर-

संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताएँ
(Main Characteristics of Cognitive Development)

शारीरिक, मानसिक, गामक, बौद्धिक, संवेगात्मक आदि विकास की भाँति संज्ञानात्मक विकास .की भी अपनी कुछ विशेषताएँ होती हैं। संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताएँ निम्नानुसार हैं-

(1) संज्ञानात्मक विकास के निश्चित प्रारूप होते हैं (Cognitive Development has a Definite Pattern) संज्ञानात्मक विकास की सबसे प्रमुख एवं महत्वपूर्ण विशेषता है कि इसके एक निश्चित प्रारूप होते हैं। सभी बालकों का संज्ञानात्मक विकास एक निश्चित प्रारूप के अनुसार ही होते हैं। हाँ! उनके शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, अनुवांशिक आदि भिन्नताओं के कारण संज्ञानात्मक विकास में भी थोड़ी बहुत भिन्नता अवश्य ही देखने को मिल जाती है।

परन्तु फिर भी संज्ञानात्मक विकास एक निश्चित प्रारूप के अनुसार ही होती है जैसे-स्थूल से सूक्ष्म की ओर, अनिश्चित से निश्चित की ओर, अस्पष्टता से स्पष्टता की ओर, सामान्य से जटिल की ओर ही पाया जाता है।

(2) संज्ञानात्मक विकास स्थूल से सूक्ष्म की ओर होता है (Cognitive Development occurs from Gross to Micro) संज्ञानात्मक विकास की दूसरी प्रमुख विशेषता है "स्थूल से सूक्ष्म की ओर होना।" बालक पहले स्थूल (gross) चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। तत्पश्चात् सूक्ष्म ज्ञान को ग्रहण करते हैं। जैसे—बालक पहले उन चीजों की जानकारी प्राप्त करते हैं जो मूर्त (Concrete) होती हैं जिन्हें वे देख सकते हैं, छू सकते हैं, जिनका वे स्वाद चख सकते हैं। जैसे—बालक पहले अपनी माँ को देखकर पहचानने लगता है। वह माता को देखकर हाथ-पैर पटकने लगता है और इस प्रकार का हाव-भाव का प्रदर्शन करने लगता है कि माता आए और उसे गोद में उठा ले। परन्तु जैसे-जैसे बालक बड़ा होता है अब वह माँ की विभिन्न मुद्राओं (Gestures) को समझने लगता है। अब वह आसानी से यह समझ जाता है कि माँ खुश है अथवा नाराज। गुस्से में है या हँसी की मुद्रा में और फिर बालक उसके चेहरे के हाव-भाव को देखकर अपनी प्रतिक्रियाएँ व्यक्त करता है। बालक पहले अपनी आवश्यकताओं की वस्तु के बारे में जानकारी प्राप्त करता है जैसे- रबर, पेंसिल, स्कूल बैग, पेन, कलर आदि। फिर धीरे-धीरे वह किताब के चित्र को देखकर समझता है। बाद में वह उन्हें पढ़कर समझने लगता है। अतः स्पष्ट है कि संज्ञानात्मक विकास स्थूल से सूक्ष्म की ओर एवं साधारण से जटिल की ओर होता है।

3-4 वर्ष का बालक विभिन्न प्रकार के सब्जियों का नाम, फूलों का नाम, पशु-पक्षियों का नाम, फलों का नाम याद कर लेता है। 5-6 वर्ष का बालक कविताएँ याद कर लेता है। अब वह चुटकलों को भी समझने लगता है। वह पेंसिल से कुछ Drawing भी बना लेता है। तब उसके ‘Drawing' इतने स्पष्ट एवं सुन्दर नहीं होते हैं परन्तु उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसमें निखार आता है और Drawing सुन्दर बनता है।

(3) संज्ञानात्मक विकास सामान्य से विशिष्ट की ओर होता है (Cognitive Development occurs from General of Specific) संज्ञानात्मक विकास की तीसरी महत्वपूर्ण विशेषता है "सामान्य से विशिष्ट की ओर होना।" बालक प्रारंभ में किसी वस्तु, चीज, व्यक्ति, घटना अथवा सूचना को सामान्य रूप में देखता है। जैसे—जब बालक आकाश में झिलमिलाते तारों एवं चन्द्रमा को देखता है तो उसे बड़ा मजा आता है। ये प्राकृतिक चीजें उसे बड़ी ही लुभावनी एवं आनंददायी लगती हैं। इसी प्रकार जब वह बरसात की पहली बौछार को धरती पर गिरते देखता है तो आनंद से मग्न हो जाता है। वह इसे सामान्य घटना मानता है और इन घटनाओं से अपनी खुशी का इजहार करता है। परन्तु जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है, वह इन घटनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करना चाहता है। वह यह समझने का प्रयास करता है कि तारे रात में ही क्यों झिलमिलाते हैं? बरसात कैसे होती है? आकाश में सतरंगी इन्द्रधनुष का निर्माण किस प्रकार से होता है आदि-आदि। अर्थात् अब वह घटनाओं को केवल सामान्य घटना नहीं समझता है बल्कि उन्हें; विशिष्ट घटना समझकर उनका गहन अध्ययन करता है, उनके बारे में चिन्तन करता है, संगी-साथियों से तर्क करता है, शिक्षकों से विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछता है। जब तक बालक इन घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं कर लेते हैं तब तक ये प्रश्न उनके मन-मस्तिष्क में हिलोरें लेते रहते हैं। और वे उन्हें ढूँढने का प्रयास करते रहते हैं। अतः स्पष्ट है कि संज्ञानात्मक विकास सामान्य से विशिष्ट की ओर होता है।

(4) संज्ञानात्मक विकास में व्यक्तिगत विभिन्नताएँ पायी जाती हैं (Individual Differences are seen in Cognitive Development)—यह सच है कि सभी बालकों का 'संज्ञानात्मक विकास एक जैसा, एक ही दर से, एक ही समय पर नहीं होता है, क्योंकि हरेक बालक का वंशानुक्रम भिन्न होता है। उनकी शारीरिक, मानसिक, गत्यात्मक विकास आदि में भी भिन्नता होती है। यहाँ तक कि एक ही माता के कोख में पले-बढ़े और एक ही वातावरण में पाले-पोषे गये दो जुड़वाँ बालकों के संज्ञानात्मक विकास में भी पर्याप्त भिन्नता देखी गई है। किसी बालक में स्मरण शक्ति अधिक होती है तो किसी में कल्पना शक्ति। किसी में ध्यान शक्ति तो किसी बालक में सृजन शक्ति। किसी बालक में तर्क शक्ति अधिक होती है तो किसी में वाक् एवं विश्लेषण शक्ति। अतः स्पष्ट है कि व्यक्तिगत विभिन्नताओं के कारण ही संज्ञानात्मक विकास में भी भिन्नता पायी जाती है।

(5) संज्ञान का संचय होता है (Cognition is Cumulative) - बालकों में संज्ञानात्मक विकास रातों-रात नहीं होता और न ही बालक एकाएक ज्ञानी एवं बुद्धिमान हो जाता है। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे एवं क्रमानुसार होती है। बालकों में विभिन्न प्रत्यय संबंधी ज्ञान एक-एक करके मस्तिष्क में संचय होते रहते हैं। जैसे—जब बालक को लाल, पीला, हरा, नीला आदि रंगों का ज्ञान हो जाता है तभी वह आसमानी, भूरा, बैंगनी आदि रंगों के बारे में जानकारी प्राप्त करता है। इसी प्रकार से वह पहले चौकोर, गोल, लम्बा, छोटा आदि प्रत्ययों के सम्बन्धों में जानकारी प्राप्त करता है। बाद में वह षट्कोण, अष्टभुजा, आयत, वर्ग आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करता है। पुराने ज्ञान के साथ ही बालक नवीन ज्ञान को सीखते रहते हैं और ये ज्ञान उनके मस्तिष्क में संग्रह होते रहते हैं। इस प्रकार उनका ज्ञान भंडार दिन-प्रतिदिन, क्षण-प्रतिक्षण बढ़ता रहता है। परन्तु यदि बालक यह सोचते हैं कि उनके पुराने ज्ञान गलत एवं भ्रामक हैं तो वे उन्हें मस्तिष्क से निकाल देते हैं और शुद्ध, उपयोगी एवं लाभदायी ज्ञान सीखते रहते हैं।

( 6) संज्ञानात्मक विकास शिक्षण एवं निर्देशन पर निर्भर करता है (Cognitive Development depends upon Teaching and Guidance) - सभी बालको में ज्ञान सीखने की, उन्हें अर्जित करने की प्रकृति प्रदत्त क्षमता होती है। यह अलग बात हैं कि कुछ बालकों में यह ज्ञान क्षमता अधिक होती है तो कुछ में कम। अध्ययनों से यह ज्ञात हुआ है कि यदि बालकों को सही समय पर समुचित शिक्षण की व्यवस्था करके उन्हें दृश्य-श्रव्य विधि से पढ़ाया लिखाया जाए तो वे जल्दी सीख जाते हैं तथा उन्हें विभिन्न वस्तुओं के सम्बन्ध में जानकारी मिल जाती है। बालक जब विद्यालय जाने लगते हैं तो उन्हें सुनियोजित पाठ्यक्रम के द्वारा, शिक्षा प्रदान कर उनकी कल्पना शक्ति तक शक्ति, चिन्तन शक्ति, ध्यान शक्ति, स्मरण शक्ति का विकास किया जा सकता है।

भले ही कितना ही तीव्र बुद्धि का बालक क्यों न हो, जब तक उसे पढ़ाया-लिखाया नहीं जाएँ, सही शिक्षण व्यवस्था नहीं की जाए, सही दिशा-निर्देश नहीं दिये जाएँ तब तक उसका संज्ञानात्मक विकास समुचित ढंग से नहीं हो पाता है। इतना ही नहीं, उसका ज्ञान भंडार सीमित हो जाता है। वह शुद्ध-शुद्ध वाक्य रचना भी नहीं कर सकता। वह पढ़ना-लिखना तक नहीं सीख सकता। अतः स्पष्ट है कि संज्ञानात्मक विकास में शिक्षण एवं निर्देशन का अमूल्य स्थान है।

(7) संज्ञानात्मक विकास तथा विकास के अन्य पहलू परस्पर अन्त: संबंधित होते हैं (Cognitive Development is Interrelated with Other Development) - संज्ञानात्मक विकास का शारीरिक, क्रियात्मक, मानसिक, बौद्धिक, संवेगात्मक आदि विकास से गहरा नाता रिश्ता है और वे परस्पर अंत: संबंधित होते हैं। जैसे—यदि बालक शारीरिक रूप से अस्वस्थ है अथवा वह लम्बे समय से बीमार है तो उसका संज्ञानात्मक विकास भी देर से होगा क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है। जब तन बीमार होता है तो मन स्वतः ही बीमार हो जाता है। बालक में कुछ भी करने की, कुछ भी सीखने की इच्छा व ललक नहीं होती। वह दुखी एवं खिन्न रहता है। वह क्रोधी एवं चिड़चिड़ा हो जाता है। वह संवेगात्मक रूप से दुखी व उदास रहने लगता है। फलतः उसका सामाजिक समायोजन भी गड़बड़ा जाता है।

इसी प्रकार गामक विकास (Motor) का भी संज्ञानात्मक विकास से गहरा संबंध है। जब बालक के हाथों व अंगुलियों की स्थूल एवं सूक्ष्म मांसपेशियाँ विकसित होती हैं, तभी वह लिखने, चित्रकारी करने, पेंटिंग करने जैसे ज्ञान का अर्जन एवं विकास कर सकता है। अतः स्पष्ट है कि संज्ञानात्मक विकास तथा विकास के अन्य पहलू परस्पर अंत: संबंधित होते हैं।

(8) संज्ञानात्मक विकास विगत एवं वर्तमान अनुभवों का योग होता है (Cognitive Development is the Product of Past and Present Experiences)- संज्ञानात्मक विकास में बालक द्वारा जो कुछ भी सीखा जाता है वह भूतकाल एवं वर्तमान, इन दोनों के आधार पर ही सीखा जाता है। बालक का मस्तिष्क जो कुछ भी ग्रहण करता है उसे वह पुरानी युक्ति (Old Scheme) से जोड़ता है और फिर अपनी तर्क, कल्पना, चिन्तन, स्मरण एवं विश्लेषण से नवीन युक्ति (New Scheme) का निर्माण करता हैं और तब इन दोनों में समन्वय स्थापित करता है। जैसे-यदि बालक ने पूर्व में घोड़ा देखा होता है, परन्तु उसने ऊँट नहीं देखा होता है तो बालक ऊँट को देखकर झट से उसे कुबड़ वाला घोड़ा बताता है। साथ ही वह यह भी बताता है कि इस घोड़े (ऊँट) के बड़े कूबड़ और लम्बी गर्दन है। परन्तु जब उसे यह बताया जाता है कि यह घोड़ा नहीं बल्कि ऊँट है, जो रेगिस्तान में पाया जाता है और इसे रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है। इसके गद्दीदार पैर होते हैं, लम्बी गर्दन होती है तो बालक पुनः अपने चिन्तन, स्मरण, तर्कन, वर्गीकरण, विश्लेषण आदि के द्वारा इन दोनों में भेद करने लग जाता है तथा ऊँट से संबंधित नवीन ज्ञान को अर्जित करता है। अतः संज्ञानात्मक विकास विगत एवं वर्तमान अनुभवों का योग होता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पारम्परिक गृह विज्ञान और वर्तमान युग में इसकी प्रासंगिकता एवं भारतीय गृह वैज्ञानिकों के द्वारा दिये गये योगदान की व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- NIPCCD के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- 'भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद' (I.C.M.R.) के विषय में विस्तृत रूप से बताइए।
  4. प्रश्न- केन्द्रीय आहार तकनीकी अनुसंधान परिषद (CFTRI) के विषय पर विस्तृत लेख लिखिए।
  5. प्रश्न- NIPCCD से आप समझते हैं? संक्षेप में बताइये।
  6. प्रश्न- केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिक अनुसंधान संस्थान के विषय में आप क्या जानते हैं?
  7. प्रश्न- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  8. प्रश्न- कोशिका किसे कहते हैं? इसकी संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए तथा जीवित कोशिकाओं के लक्षण, गुण, एवं कार्य भी बताइए।
  9. प्रश्न- कोशिकाओं के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- प्लाज्मा झिल्ली की रचना, स्वभाव, जीवात्जनन एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- माइटोकॉण्ड्रिया कोशिका का 'पावर हाउस' कहलाता है। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  12. प्रश्न- केन्द्रक के विभिन्न घटकों के नाम बताइये। प्रत्येक के कार्य का भी वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- केन्द्रक का महत्व समझाइये।
  14. प्रश्न- पाचन तन्त्र का सचित्र विस्तृत वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- पाचन क्रिया में सहायक अंगों का वर्णन कीजिए तथा भोजन का अवशोषण किस प्रकार होता है?
  16. प्रश्न- पाचन तंत्र में पाए जाने वाले मुख्य पाचक रसों का संक्षिप्त परिचय दीजिए तथा पाचन क्रिया में इनकी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- आमाशय में पाचन क्रिया, छोटी आँत में भोजन का पाचन, पित्त रस तथा अग्न्याशयिक रस और आँत रस की क्रियाविधि बताइए।
  18. प्रश्न- लार ग्रन्थियों के बारे में बताइए तथा ये किस-किस नाम से जानी जाती हैं?
  19. प्रश्न- पित्ताशय के बारे में लिखिए।
  20. प्रश्न- आँत रस की क्रियाविधि किस प्रकार होती है।
  21. प्रश्न- श्वसन क्रिया से आप क्या समझती हैं? श्वसन तन्त्र के अंग कौन-कौन से होते हैं तथा इसकी क्रियाविधि और महत्व भी बताइए।
  22. प्रश्न- श्वासोच्छ्वास क्या है? इसकी क्रियाविधि समझाइये। श्वसन प्रतिवर्ती क्रिया का संचालन कैसे होता है?
  23. प्रश्न- फेफड़ों की धारिता पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- बाह्य श्वसन तथा अन्तःश्वसन पर टिप्पणी लिखिए।
  25. प्रश्न- मानव शरीर के लिए ऑक्सीजन का महत्व बताइए।
  26. प्रश्न- श्वास लेने तथा श्वसन में अन्तर बताइये।
  27. प्रश्न- हृदय की संरचना एवं कार्य का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- रक्त परिसंचरण शरीर में किस प्रकार होता है? उसकी उपयोगिता बताइए।
  29. प्रश्न- हृदय के स्नायु को शुद्ध रक्त कैसे मिलता है तथा यकृताभिसरण कैसे होता है?
  30. प्रश्न- धमनी तथा शिरा से आप क्या समझते हैं? धमनी तथा शिरा की रचना और कार्यों की तुलना कीजिए।
  31. प्रश्न- लसिका से आप क्या समझते हैं? लसिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- रक्त का जमना एक जटिल रासायनिक क्रिया है।' व्याख्या कीजिए।
  33. प्रश्न- रक्तचाप पर टिप्पणी लिखिए।
  34. प्रश्न- हृदय का नामांकित चित्र बनाइए।
  35. प्रश्न- किसी भी व्यक्ति को किसी भी व्यक्ति का रक्त क्यों नहीं चढ़ाया जा सकता?
  36. प्रश्न- लाल रक्त कणिकाओं तथा श्वेत रक्त कणिकाओं में अन्तर बताइए?
  37. प्रश्न- आहार से आप क्या समझते हैं? आहार व पोषण विज्ञान का अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध बताइए।
  38. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए। (i) चयापचय (ii) उपचारार्थ आहार।
  39. प्रश्न- "पोषण एवं स्वास्थ्य का आपस में पारस्परिक सम्बन्ध है।' इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  40. प्रश्न- अभिशोषण तथा चयापचय को परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- शरीर पोषण में जल का अन्य पोषक तत्वों से कम महत्व नहीं है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- भोजन की परिभाषा देते हुए इसके कार्य तथा वर्गीकरण बताइए।
  43. प्रश्न- भोजन के कार्यों की विस्तृत विवेचना करते हुए एक लेख लिखिए।
  44. प्रश्न- आमाशय में पाचन के चरण लिखिए।
  45. प्रश्न- मैक्रो एवं माइक्रो पोषण से आप क्या समझते हो तथा इनकी प्राप्ति स्रोत एवं कमी के प्रभाव क्या-क्या होते हैं?
  46. प्रश्न- आधारीय भोज्य समूहों की भोजन में क्या उपयोगिता है? सात वर्गीय भोज्य समूहों की विवेचना कीजिए।
  47. प्रश्न- “दूध सभी के लिए सम्पूर्ण आहार है।" समझाइए।
  48. प्रश्न- आहार में फलों व सब्जियों का महत्व बताइए। (क) मसाले (ख) तृण धान्य।
  49. प्रश्न- अण्डे की संरचना लिखिए।
  50. प्रश्न- पाचन, अभिशोषण व चयापचय में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  51. प्रश्न- आहार में दाल की उपयोगिता बताइए।
  52. प्रश्न- दूध में कौन से तत्व उपस्थित नहीं होते?
  53. प्रश्न- सोयाबीन का पौष्टिक मूल्य व आहार में इसका महत्व क्या है?
  54. प्रश्न- फलों से प्राप्त पौष्टिक तत्व व आहार में फलों का महत्व बताइए।
  55. प्रश्न- प्रोटीन की संरचना, संगठन बताइए तथा प्रोटीन का वर्गीकरण व उसका पाचन, अवशोषण व चयापचय का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों, साधनों एवं उसकी कमी से होने वाले रोगों की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- 'शरीर निर्माणक' पौष्टिक तत्व कौन-कौन से हैं? इनके प्राप्ति के स्रोत क्या हैं?
  58. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण कीजिए एवं उनके कार्य बताइये।
  59. प्रश्न- रेशे युक्त आहार से आप क्या समझते हैं? इसके स्रोत व कार्य बताइये।
  60. प्रश्न- वसा का अर्थ बताइए तथा उसका वर्गीकरण समझाइए।
  61. प्रश्न- वसा की दैनिक आवश्यकता बताइए तथा इसकी कमी तथा अधिकता से होने वाली हानियों को बताइए।
  62. प्रश्न- विटामिन से क्या अभिप्राय है? विटामिन का सामान्य वर्गीकरण देते हुए प्रत्येक का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- वसा में घुलनशील विटामिन क्या होते हैं? आहार में विटामिन 'ए' कार्य, स्रोत तथा कमी से होने वाले रोगों का उल्लेख कीजिये।
  64. प्रश्न- खनिज तत्व क्या होते हैं? विभिन्न प्रकार के आवश्यक खनिज तत्वों के कार्यों तथा प्रभावों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- शरीर में लौह लवण की उपस्थिति, स्रोत, दैनिक आवश्यकता, कार्य, न्यूनता के प्रभाव तथा इसके अवशोषण एवं चयापचय का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- प्रोटीन की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  67. प्रश्न- क्वाशियोरकर कुपोषण के लक्षण बताइए।
  68. प्रश्न- भारतवासियों के भोजन में प्रोटीन की कमी के कारणों को संक्षेप में बताइए।
  69. प्रश्न- प्रोटीन हीनता के कारण बताइए।
  70. प्रश्न- क्वाशियोरकर तथा मेरेस्मस के लक्षण बताइए।
  71. प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- भोजन में अनाज के साथ दाल को सम्मिलित करने से प्रोटीन का पोषक मूल्य बढ़ जाता है।-कारण बताइये।
  73. प्रश्न- शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता और कार्य लिखिए।
  74. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत बताइये।
  75. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स का वर्गीकरण कीजिए (केवल चार्ट द्वारा)।
  76. प्रश्न- यौगिक लिपिड के बारे में अतिसंक्षेप में बताइए।
  77. प्रश्न- आवश्यक वसीय अम्लों के बारे में बताइए।
  78. प्रश्न- किन्हीं दो वसा में घुलनशील विटामिन्स के रासायनिक नाम बताइये।
  79. प्रश्न बेरी-बेरी रोग का कारण, लक्षण एवं उपचार बताइये।
  80. प्रश्न- विटामिन (K) के के कार्य एवं प्राप्ति के साधन बताइये।
  81. प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- एनीमिया के प्रकारों को बताइए।
  83. प्रश्न- आयोडीन के बारे में अति संक्षेप में बताइए।
  84. प्रश्न- आयोडीन के कार्य अति संक्षेप में बताइए।
  85. प्रश्न- आयोडीन की कमी से होने वाला रोग घेंघा के बारे में बताइए।
  86. प्रश्न- खनिज क्या होते हैं? मेजर तत्व और ट्रेस खनिज तत्व में अन्तर बताइए।
  87. प्रश्न- लौह तत्व के कोई चार स्रोत बताइये।
  88. प्रश्न- कैल्शियम के कोई दो अच्छे स्रोत बताइये।
  89. प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
  90. प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
  91. प्रश्न- “भाप द्वारा पकाया भोजन सबसे उत्तम होता है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  92. प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
  93. प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
  95. प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
  96. प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
  97. प्रश्न- वंशानुक्रम से आप क्या समझते है। वंशानुक्रम का मानवं विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  98. प्रश्न . वातावरण से क्या तात्पर्य है? विभिन्न प्रकार के वातावरण का मानव विकास पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिए।
  99. प्रश्न . विकास एवं वृद्धि से आप क्या समझते हैं? विकास में होने वाले प्रमुख परिवर्तन कौन-कौन से हैं?
  100. प्रश्न- विकास के प्रमुख नियमों के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा कीजिए।
  101. प्रश्न- वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन की परिभाषा तथा आवश्यकता बताइये।
  103. प्रश्न- पूर्व-बाल्यावस्था में बालकों के शारीरिक विकास से आप क्या समझते हैं?
  104. प्रश्न- पूर्व-बाल्या अवस्था में क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
  105. प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
  106. प्रश्न- बाल मनोविज्ञान एवं मानव विकास में क्या अन्तर है?
  107. प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
  108. प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी हैं? समझाइए।
  109. प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
  110. प्रश्न- गर्भाधान तथा निषेचन की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए भ्रूण विकास की प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।.
  111. प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
  112. प्रश्न- प्रसव कितने प्रकार के होते हैं?
  113. प्रश्न- विकासात्मक अवस्थाओं से क्या आशर्य है? हरलॉक द्वारा दी गयी विकासात्मक अवस्थाओं की सूची बना कर उन्हें समझाइए।
  114. प्रश्न- "गर्भकालीन टॉक्सीमिया" को समझाइए।
  115. प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
  116. प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
  117. प्रश्न- विकासोचित कार्य का अर्थ बताइये। संक्षिप्त में 0-2 वर्ष के बच्चों के विकासोचित कार्य के बारे में बताइये।
  118. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
  119. प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
  120. प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
  121. प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
  122. प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
  123. प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
  124. प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
  125. प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
  126. प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
  127. प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु की शिक्षा के स्वरूप पर टिप्पणी लिखो।
  128. प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है।
  129. प्रश्न- शैशवावस्था में मानसिक विकास कैसे होता है?
  130. प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
  131. प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
  132. प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
  133. प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
  134. प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
  135. प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
  136. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
  137. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
  139. प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
  140. प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
  141. प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
  142. प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
  143. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
  144. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?

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